वाराणसी में जुमे की नमाज को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। वक्फ बिल पास होने के बाद आज शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन की आशंका पर ज्ञानवापी समेत सभी प्रमुख मस्जिदों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। संवेदनशील इलाकों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पुलिस फोर्स लगातार चक्रमण कर रही है।
सोशल मीडिया, सीसी कैमरों से लेकर चाय पान की दुकानों पर नजर संसद में वक्फ बिल पास होने के बाद भी कुछ राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठन इसको लेकर भ्रम फैला रहे हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर इंटेलीजेंस सोशल मीडिया पर पोस्ट होने वाले संदेशों पर नजर बनाए हैं। संवेदनशील शील इलाकों पर ड्रोन के साथ ही सीसी कैमरे के जरिए नजर रखी जा रही है। सादे वेश में पुलिसकर्मियों के साथ खुफिया तंत्र के लोग मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चाय पान की दुकानों से लेकर पूरे इलाके में घूम रहे हैं। वाराणसी में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी इंडिया से जुड़े लोगों पर विशेष नजर है। इंटेलीजेंस को सूचना है कि प्रतिबंधित पीएफआई की पॉलिटिकल विंग एसडीपीआई से जुड़े लोगों की वाराणसी में मूवमेंट है। इंटेलीजेंस का दावा है कि ईद के मौके पर एसडीपीआई से जुड़े लोग वाराणसी की कई मस्जिदों में देखे गए थे। गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व नगर निगम के चुनाव के दौरान संगठन की वाराणसी में सक्रियता का पता चला जब कुछ लोग SDPI की तरफ से नामांकन करने पहुंचे थे। 2022-23 में वाराणसी से पांच लोग गिरफ्तार किए गए जो प्रतिबंधित पीएफआई के साथ ही SDPI से जुड़े थे।
वाराणसी में भी वक्फ की संपत्तियों को लेकर हुआ था सर्वे वाराणसी में उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के नाम पर 1637 संपत्ति उनके रजिस्टर में दर्ज है। इसमें 1537 सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम जबकि 100 शिया बोर्ड के नाम दर्ज है। सर्वे के दौरान येबात सामने आई थी।
406 संपत्ति राज्य सरकार की उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के एक आदेश पर राजस्व विभाग और नगर निगम के जरिए वाराणसी में वर्ष 2024 में सर्वे कराया था। वर्ष 1359 में खसरा खतौनी के आधार पर नगर निगम और तहसील के कर्मचारियों ने सर्वे किया। जांच पड़ताल के बाद सामने आया कि वक्फ बोर्ड के दफा 37 रजिस्टर में 406 संपत्ति ऐसी दर्ज है जो राज्य सरकार की संपत्ति है। ये संपत्ति सरकार के विभिन विभागों की है। इन संपत्तियों पर मस्जिद, कब्रिस्तान, इमामबाड़ा बने है। बंजर, आबादी, तालाब, खेत, चारागाह समेत अन्य ऐसी राज्य सरकार की संपत्ति को सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है। सर्वे रिपोर्ट यूपी सरकार के साथ ही हाईकोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी को भेज चुकी है।
