वाराणसी :- छोटे पर्दे के डेविड चाचा यानी अनूप उपाध्याय ने कहा कि पहली बार बनारस आया हूं, लेकिन यह शहर एकदम अपना सा लगा। यहां की हवा में ही धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का जादू है जो हर किसी पर एक अलग ही असर करता है। कहा कि बनारस ऐसा नशा है जो एक बार सिर पर चढ़ जाए तो उतरेगा नहीं। घूमने, दर्शन करने और आनंद लेने बनारस आया हूं। यह मेरी आध्यात्मिक यात्रा है। बुधवार को बनारस पहुंचे अनूप उपाध्याय ने सपरिवार बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया। उन्होंने कहा कि मुझे मुंबई में रहकर अचानक बनारस में आकर ऐसा लगा कि सच्चे हिंदुस्तान में आ गया हूं। मंदिर, अध्यात्म, साधु-संन्यासी, पूजा, अर्चना के साथ ही विश्व भर के लोग यहां नजर आए। उनके चेहरे पर भी अध्यात्म की आभा नजर आई। सुकून नजर आया। यह शहर सुकून भरा है। यहां की हवा में जो रस है ना इसका नाम है बनारस, महादेव जी ने जो रस घोला है इसका नशा ऐसा है जैसे कि भंग सी घुल गई हो। अनूप ने कहा कि बचपन से ही उनको अभिनय का शौक था। कासगंज के पास छोटे से कस्बे गंजडुंडवारा से निकलकर जब दिल्ली पहुंचा तो मेरी प्रतिभा की पहचान हुई। दिल्ली आने के बाद सबसे पहला नाटक मैंने देख रहे हैं नयन… में अभिनय किया। देश के साथ ही विदेशों में भी इसके शो हुए।
दो साल तक करना पड़ा संघर्ष भाभीजी घर पर हैं… में डेविड मिश्रा का किरदार निभाने वाले अनूप ने कहा कि दिल्ली के बाद जब मुंबई पहुंचे तो छोटे पर्दे पर सीरियल शांति से शुरूआत की। इसके बाद दो साल तक स्ट्रगल करना पड़ा। उस समय बहुत सीरियल नहीं बनते थे। संघर्ष के दिन बहुत मुश्किल थे। जो कलाकार सच्चाई के साथ काम कर रहे होंगे और अच्छा काम पाने की कोशिश कर रहे होंगे वह आज भी संघर्ष करते हैं। कहा कि सभी के लिए अलग-अलग तरीके हैं संघर्ष के। मुझे अपने सारे किरदार प्यारे हैं। युवाओं से कहना चाहूंगा कि खुद के टैलेंट पर भरोसा करें, किसी के बहकावे में ना आएं। ना आकर्षण में, ना किसी के कहने पर इस क्षेत्र में आएं। अगर आपमे टैलेंट, शक्ति, धैर्य है और ईश्वर की कृपा है तो आप सफल होंगे।
