पिछले कुछ दिनों से यह नाम खबरों में है। हाल ही में हुए 67वें ग्रैमी अवार्ड्स समारोह में भारतीय अमेरिकन गायिका 71 साल की चंद्रिका टंडन को उनके एल्बम त्रिवेणी के लिए ग्रैमी अवॉर्ड मिला है। संगीत की दुनिया में यह एक नामचीन और सबसे ऊंचा अवॉर्ड है। चंद्रिका को अवॉर्ड मिलना हम सबके लिए गौरव की बात है। पर यह बात भी गौरतलब है कि उनकी उम्र सत्तर पार है। चेन्नई में पली-बढ़ी चंद्रिका पेप्सिको कंपनी की भूतपूर्व अध्यक्ष इंदिरा नूई की दीदी हैं। दरअसल चंद्रिका अपने परिवार की पहली ऐसी लड़की हैं, जिसने कॉलेज जाने के लिए भूख हड़ताल की। एक पारंपरिक तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मी चंद्रिका ने हर वो काम किए, जो उनके सामने चुनौती की तरह आ खड़े हुए। चेन्नई से स्नातक करने के बाद, वे आईएमएम में मैनेजमेंट पढ़ने अहमदाबाद गईं। बेरूत में शुरुआती नौकरी करने के बाद वे अमेरिका पहुंचीं। वहां उन्होंने खुद की कंपनी शुरू की और बेहद सफल रहीं। उन्हें शुरू से संगीत में दिलचस्पी थी। वे काम के बीच से समय निकाल कर, संगीत की दुनिया में रम कर अपना तनाव दूर करती थीं। उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली और अपना पहला म्यूजिक एल्बम निकाला, ओम नमः शिवाय। उनके अधिकांश एल्बम शास्त्रीय संगीत की पृष्ठभूमि में आध्यात्मिक जप होता है।जिस एल्बम त्रिवेणी के लिए चंद्रिका को ग्रैमी अवॉर्ड मिला है, वो साउथ अफ्रीका के मशहूर बांसुरी वादक वाउटर केलरमैन और जापानी-अमेरिकन सेलिस्ट एरु मात्सुमोतो के बीच एक जुगलबंदी है। चंद्रिका अवॉर्ड के लिए संगीत नहीं रचतीं। संगीत उनके लिए तनाव से बचने और आशावादी बने रहने का माध्यम है। और कहीं ना कहीं यह इस बात को भी रेखांकित करता है कि अपने शौक और जुनून को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। बस, शर्त यही है कि आप पूरे लगन से अपना काम करें।
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