पाकिस्तान ने फिर से अपने आतंकी ढांचे को खड़ा करना शुरू कर दिया है। वह अपने नागरिकों से एकत्र किए गए कर को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को लगभग 14 करोड़ रुपये देने में खर्च करेगा, जबकि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी है। पाकिस्तान ने मुरीदके और बहावलपुर में आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए वित्तीय सहायता की भी घोषणा की है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की 1 बिलियन डॉलर की सहायता का एक बड़ा हिस्सा आतंकी ढांचे को वित्तपोषित करने में इस्तेमाल किया जाएगा। क्या इसे आईएमएफ द्वारा अप्रत्यक्ष वित्तपोषण नहीं माना जाएगा? पाकिस्तान को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता आतंकी वित्तपोषण से कम नहीं है। आईएमएफ को पाकिस्तान को दी जाने वाली अपनी सहायता पर पुनर्विचार करना चाहिए। भारत नहीं चाहता कि आईएमएफ को दिए जाने वाले धन का इस्तेमाल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी ढांचे को खड़ा करने में किया जाए।
