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बैंकों का लिक्विटी डेफिसिट फिलहाल एक दशक के सबसे बुरी स्थिति में पहुंच गया है.

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भारतीय बैंकों के सामने फिलहाल एक नई चुनौती खड़ी हुई है. बैंकों का लिक्विटी डेफिसिट फिलहाल एक दशक के सबसे बुरी स्थिति में पहुंच गया है. बैंकिग सिस्टम की लिक्विडिटी के डेफिसिट में होने की स्थिति का मतलब है कि बैंकों के पास ग्राहकों की तरफ से आने वाली क्रेडिट डिमांड को पूरा करने के लिए जरूरी रकम नहीं है. अगर बैंक मांग के मुताबिक कर्ज नहीं जारी कर पाएंगे तो इससे बैंकों और अर्थव्यवस्था दोनों की ग्रोथ पर असर देखने को मिल सकता. क्योंकि एक तरफ बैंकों की आय घटेगी वहीं इंडस्ट्री के लिए लागत बढ़ सकती है. बड़े बैंकों ने लिक्विडिटी की इस स्थिति को लेकर खतरे का संकेत दिया है.

Axis (एक्सिस) बैंक के सीईओ अमिताभ चौधरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि सिस्टम में नकदी नहीं है, डिपॉजिट ग्रोथ धीमी है, बैंकों में स्ट्रेस का स्तर ऊंचा बना हुआ है वहीं रुपये में गिरावट देखने को मिल रही है.. इसलिए, कुछ ऐसे फैक्टर हैं जो अगले साल एक्सिस बैंक की की ग्रोथ पर असर डाल सकते हैं.

ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स इंडेक्स से पता चला है कि गुरुवार को 3.3 लाख करोड़ रुपये यानि 38.2 अरब डॉलर पर, बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी डेफिसिट 2010 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर था. यहां तक ​​कि पिछले सप्ताह से भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा आयोजित की जा रही डेली वेरिएबल रेपो रेट ऑक्शन से भी स्थिति में बहुत सुधार नहीं आया है.

एनबीएफसी के लिए स्थिति और भी खराब है और इस वजह से वो ऊंची दरों पर उधार लेने के लिए मजबूर हैं. बजाज फिनसर्व के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने एक न्यूज़ चैनल के इंटरव्यू में कहा…ध्यान रखें कि हमारे सिस्टम और हमारे क्रेडिट का एक बड़ा हिस्सा जो टियर-2 और टियर-3 के कुछ खास सेगमेंट और उससे नीचे के सेग्मेंट में जाता है, वह एनबीएफसी से आता है. ये बड़ी एनबीएफसी हैं, उनमें से कुछ बैंकों से भी बड़ी हैं. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे लिए भी उसी तरह की लिक्विडिटी लाइन बनाई जाए.

दूसरी ओर, देश का सबसे बड़ा ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) नकदी की कमी को बड़ी बाधा नहीं मानता. एसबीआई के चेयरमैन ने दावोस में डब्ल्यूईएफ की बैठक के दौरान एक न्यूज़ चैनल के इंटरव्यू में कहा…कि रेग्युलेटर ने नकदी में सुधार के लिए कुछ उपाय किए हैं, खासकर दैनिक वीआरआर (वेरिएबल रेट रेपो), जिससे बाजार को यह संकेत मिला है कि केंद्रीय बैंक से लिक्विडिटी को लेकर मदद लगातार बनी रहेगी… हम नकदी की स्थिति को लेकर बाजार की सोच में बदलाव देख पा रहे हैं. हालांकि सिस्टम में नकदी अभी भी कम है और घाटा बना हुए है, लेकिन आरबीआई की तरफ नकदी की उपलब्धता निश्चित रूप से एक अच्छा संकेत है. उन्होने कहा कि हमारा मानना ​​है कि जिस तरह से ग्लोबल इकोनॉमी के संकेत हैं फरवरी में ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है.

इस सप्ताह की शुरुआत में, RBI ने दो ओवरनाइट VRR ऑक्शन के माध्यम से 1.45 लाख करोड़ से अधिक की नकदी सिस्टम में डाली, और ऐसे ही एक अन्य प्रयास में 24 जनवरी को 1.75 लाख करोड़ की 14-दिवसीय ऑक्शन के साथ-साथ 2 लाख करोड़ की एक और ओवरनाइट VRR नीलामी आयोजित की. डीलरों के अनुसार, शुक्रवार को एक ओपन मार्केट ट्रांजेक्शन में RBI ने 10,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड भी खरीदे. VRR नीलामी के जरिए बैंक सरकारी सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर केंद्रीय बैंक से पैसा उधार ले सकते हैं.

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Author: vartahub

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