यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना महामारी के लंबे समय तक रहने की वजह से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को 31 प्रतिशत अधिक सेहत से संबंधित दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के सहयोग से किएइस अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि पिछले तीन सालों में महिलाओं में प्रजनन से संबंधित दिक्कतों में 52 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इस अध्ययन में शामिल बारह हजार से अधिक महिलाओं ने माना कि कोरोना से उबरने के बाद उन्हें हार्मोनल दिक्कतें हो रही हैं। डॉक्टरों ने इसे लॉन्ग कोविड का दुष्प्रभाव कहा है। प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन और लॉन्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रमुख डॉक्टर थॉमस पैटरसन कहते हैं, ‘इस अध्ययन से हमें यह पता चला है कि गर्भावस्था में युवतियों को किस तरह की नई दिक्कतें आ रही हैं। साथ ही गर्भपात के मामलों में भी 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।’ इस अध्ययन में शामिल विशेषज्ञ मानते हैं कि अवसाद भी इसका एक कारण है, जिसकी वजह से महिलाओं में प्रजनन संबंधी दिक्कतें सामने आ रही हैं। अक्तूबर 2021 से नवंबर 2024 तक किए गए इस अध्ययन में शामिल 42 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि इस दौरान उन्हें पीरियड से जुड़ी दिक्कतों का ज्यादा सामना करना पड़ा है। शोध में शामिल 35 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें मां बनने में दिक्कत आ रही है। 24 प्रतिशत महिलाओं ने अवसाद की बात मानी। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इस स्थिति को और सेहत से संबंधित दिक्कतों को काउंसलिंग और दवाइयों से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर पैटरसन कहते हैं, एक बार कारण का पता चलने के बाद इसका इलाज मुश्किल नहीं है। पर, साथ ही मां बनने की इच्छुक युवतियों को अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत पर कम से कम एक साल पहले से ध्यान देना चाहिए। जरूरी दवाइयां लेनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
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