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मोदी का सपोर्ट करते हो, कलमा पढ़ो; फिर बरसा दीं गोलियां, बेटी ने बताया कैसे…

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए पुणे के कारोबारी की बेटी का कहना है कि आतंकवादियों ने सिर्फ पुरुषों को टारगेट किया और उन सभी को धर्म पूछकर मार डाला गया। महाराष्ट्र के पुणे के दो कारोबारी संतोष जगदले और कौस्तुभ गणबोते पहलगाम घूमने गए थे और इसी दौरान आतंकियों ने उन पर हमला बोल दिया। दोनों गोलियां लगने से बुरी तरह जख्मी थे और अस्पताल में मौत हो गई। संतोष जगदले की बेटी असवरी ने कहा कि आतंकवादियों ने पहलगाम में मौजूद लोगों का धर्म पूछा और फिर मार डाला। पुणे की एक कंपनी में ही एचआर प्रोफेशनल के तौर पर काम करने वाली असवरी का कहना है कि उनके पिता संतोष जगदले और अंकल कौस्तुभ की तब हत्या कर दी गई, जब वे मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाले पहलगाम में थे। यह बेताब घाटी का इलाका लगता है।असवरी ने बताया कि जिस दौरान हमला हुआ, वहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। फिर भी आतंकियों ने खासतौर पर पुरुषों को ही टारगेट किया। आतंकवादी लोगों से उनका धर्म पूछ रहे थे और जो भी हिंदू था, उसे मार रहे थे। असवरी ने हमले का पूरा वाकया भी बताया। उन्होंने कहा कि हम एक शांत जगह पर खड़े थे। इसी दौरान हमने देखा कि स्थानीय पुलिस के जैसी ड्रेस पहने लोग फायरिंग करते हुए इधर बढ़ रहे हैं। असवरी ने कहा, ‘हम उन्हें देखकर डर गए। बचाव के लिए पास में मौजूद एक टेंट में घुस गए। ऐसा ही 6 से 7 अन्य पर्यटकों ने भी किया। हम सभी लोग जमीन पर लेट गए ताकि फायरिंग से बचा जा सके। हमें शुरुआत में लगा था कि सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच यह फायरिंग हो रही है। इसी दौरान कुछ आतंकियों का समूह पास के एक टेंट में आया और फायरिंग कर दी।’असवरी ने बताया, ‘इसके बाद वे हमारे टेंट में आए। मेरे पिता से बाहर आने को कहा। उन्होंने मेरे पिता से कहा-चौधरी तू बाहर आ जा।’ असवरी बताती हैं कि इसके बाद वे आतंकवादी कहने लगे कि तुम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हो। इसके बाद वे कहने लगे कि कश्मीरी उग्रवादी निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों को नहीं मारते। फिर उन्होंने मेरे पिता से कलमा पढ़ने को कहा। वह नहीं पढ़ पाए तो उन पर तीन गोलियां बरसा दीं। एक गोली उनके सिर पर लगी, एक कान के पास और पीठ पर। मेरे अंकल भी मेरे बगल में खड़े थे। आतंकवादियों ने उन्हें भी 4 से 5 गोलियां मारीं। वहीं पर उन्होंने कई अन्य पुरुषों को भी मार डाला। वहां कोई भी मदद के लिए नहीं था। कोई पुलिस या सेना नहीं थी। 20 मिनट के बाद फोर्स वहां पहुंची। आतंकियों के डर से स्थानीय लोग भी कलमा पढ़कर सुना रहे थे।

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Author: vartahub

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