नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल अधिकारों के दुरुपयोग या फैसलों की त्रुटि को भ्रष्टाचार नहीं माना जा सकता। अगर रिश्वतखोरी का आरोप है तो उसके लिए स्पष्ट लेन-देन के ठोस सबूत होने चाहिए।
🔹 फैसले की मुख्य बातें:
✅ रिश्वत के ठोस प्रमाण के बिना नहीं चलेगा भ्रष्टाचार का मामला
✅ सिर्फ प्रशासनिक फैसलों की गलती को करप्शन नहीं कहा जा सकता
✅ लेन-देन की पुष्टि जरूरी, वरना केस होगा खारिज
✅ सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर असर डाल सकता है यह फैसला
गुजरात के एक अधिकारी के केस में आया फैसला
इस फैसले का संदर्भ गुजरात से जुड़े एक मामले से है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी पर मछली पालन की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिश्वत या निजी लाभ का कोई स्पष्ट सबूत नहीं होने पर इसे करप्शन नहीं माना जा सकता।
