सरकार के न्यूनतम दूरी नीति को खत्म करने से पीएम जन औषधि केन्द्र संचालकों में आक्रोश : प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र संचालक सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहते हैं कि हाल ही में न्यूनतम दूरी नीति हटाने का निर्णय हमारे अस्तित्व पर गहरा संकट बन गया है। पहले लागू 1 व 1.5 किमी दूरी नीति से केंद्रों का संतुलित वितरण और टिकाऊपन सुनिश्चित था। अब एक ही क्षेत्र में अनेक केंद्र खुल रहे हैं, जिससे पहले से स्थापित केंद्रों का कारोबार तेजी से घट रहा है। इसका सीधा असर न सिर्फ संचालकों की जीविका पर पड़ेगा बल्कि गरीब और मध्यमवर्गीय रोगियों को सस्ती दवा की निरंतर उपलब्धता भी खतरे में होगी।
नई स्थिति से उत्पन्न संकट : दूरी नीति को हटाने के बाद अब एक ही क्षेत्र में दर्जनों केंद्र खोले जा रहे हैं। इससे पहले से चल रहे केंद्रों के व्यवसाय, आजीविका और स्थायित्व पर सीधा खतरा उत्पन्न हो गया है।यदि यही स्थिति बनी रही तो इसके कई दुष्परिणाम होंगे गंभीर राजस्व हानि – नए केंद्र खुलने से पुरानों का कारोबार 40-60 प्रतिशत तक घट जाएगा।
टिकाऊपन समाप्त – स्थायी खर्च (किराया, बिजली, स्टाफ वेतन) पूरा करना असंभव हो जाएगा।
रोगियों पर प्रतिकूल असर – वित्तीय संकट से जूझते केंद्र दवाइयों की निरंतर उपलब्धता और गुणवत्तापूर्ण सेवा नहीं दे पाएंगे।
माँगें : हम, देशभर के जनऔषधि केंद्र संचालक, सरकार और संबंधित मंत्रालय से सविनय निवेदन करते हैं कि न्यूनतम दूरी नीति (कम से कम 1 कि.मी.) को तुरंत पुनः लागू किया जाए, ताकि निष्पक्ष वितरण और केंद्रों की स्थिरता सुनिश्चित हो सके। किसी भी स्थायी बदलाव को लागू करने से पहले मौजूदा केंद्र संचालकों से परामर्श किया जाए। परियोजना के दीर्घकालिक हित को ध्यान में रखते हुए ऐसा समाधान निकाला जाए जिससे रोगियों को भी लाभ मिले और उद्यमियों का भविष्य भी सुरक्षित रहे।
