तीन दशक से जिस गांव वालों ने मृत मान लिया था, उसने रविवार 18 फरवरी को जिन्दा साधु वेश में अपने घर के दरवाजे पर दस्तक दी। हालांकि बूढ़ी मां व पत्नी को विश्वास था कि अमर नाथ जिन्दा हैं। वर्ष 1992 में विवादित ढांचा ढहाने के लिए मिर्जापुर के जमालपुर से जाने वाले कार सेवकों की टोली में शामिल अमर नाथ गुप्ता 70 वर्ष पुत्र कल्लू साव ने रविवार की रात्रि को साधु वेश में दरवाजे पर पहुंच कर अपनी मां को रात्रि में पुकारा तो पड़ोसी भी इकट्ठा हो गए। सभी ने साधु की पहचान अमरनाथ के रूप में की। सोमवार की सुबह अमर नाथ से मिलने वालों का तांता लगा रहा। अमर नाथ गुप्ता ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस के साथ जुड़ा रहा।
1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस में शामिल रहा। उसके पश्चात अयोध्या में दार्शनिक आश्रम जानकी घाट पर निवास करने लगा।
ढांचा विध्वंस के बाद तत्कालीन महंत ने बताया कि आप लोगों को पुलिस तलाश कर रही है। घर चले जाओ। वहां से तुरंत ट्रेन पकड़ कर घर के लिए निकल पड़ा। जब ट्रेन जौनपुर स्टेशन पर पहुंची तो ट्रेन पर पथराव होने लगा। कई लोग घायल हुए। किसी तरह से बचते बचाते वाराणसी कैंट स्टेशन तक आया फिर रामनगर से जमालपुर आया।
मेरे घर लौटने की जानकारी जमालपुर थाने की पुलिस को मिली तो तत्कालीन थानेदार ने पकड़ कर मिर्जापुर जेल में बंद कर दिया। कुछ दिन बाद जमालपुर के सरपंच शिवमूरत सिंह ने जमानत कराई। पुनः एक रात चुपके से अयोध्या निकल गया। वहां से फिर वृन्दावन मथुरा चला गया। वहां जाकर बाबा रूप किशोर दास से दीक्षा ली। इस समय जयपुर आश्रम में रह रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि प्रभु का मंदिर बन जाने से जीवन सफल हो गया। एक हफ्ते पूर्व प्रयागराज में स्नान के बाद मां सपने में दिखाई दी। मन विचलित हो गया। मां को कुंभ में तलाशा, नहीं मिलने पर मां से मिलने घर आ गया हूं। दो दिन बाद पुनः प्रभु की सेवा में आश्रम लौट जाऊंगा। अमरनाथ की बूढ़ी मां प्यारी देवी व पत्नी चन्द्रावती ने कहा कि अमर नाथ को देखने की इच्छा थी, जो पूरी हो गई। अमरनाथ ने पत्नी चन्द्रावती, बेटा अतुल, बेटी अर्चना, अंजना, मोनी सहित सात बहनों सभी चचेरे भाई को देखकर कहा सब प्रभु की इच्छा है। दुनिया में कोई किसी का नहीं है। सब मोह माया है प्रभु का स्मरण करिए।
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Author: Rajesh Sharma
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