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हमारी आपकी नासमझी इंटरनेट पर बन जाती है बड़ा बोझ..

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आज के डिजिटल युग में, इंटरनेट हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हर सुबह लाखों करोड़ो लोग “गुड मॉर्निंग” मैसेज भेजते और प्राप्त करते हैं। ये संदेश, जो अक्सर फूलों, सूर्योदय या प्रेरणादायक उद्धरणों के साथ सजाए जाते हैं, पहली नजर में सकारात्मक और हानिरहित लगते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये मैसेज इंटरनेट पर अनावश्यक बोझ क्यों बन रहे हैं? सबसे पहले, इन मैसेज की संख्या और आवृत्ति इंटरनेट की बैंडविड्थ पर दबाव डालती है। हर दिन अरबों “गुड मॉर्निंग” संदेश, जिनमें ज्यादातर भारी इमेज और वीडियो शामिल होते हैं, सर्वर पर लोड बढ़ाते हैं। इससे डेटा ट्रांसफर की गति धीमी होती है और इंटरनेट की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां नेटवर्क पहले से कमजोर है। ये मैसेज अक्सर सामग्री की दृष्टि से बेकार होते हैं। एक ही तरह के संदेश बार-बार फॉरवर्ड किए जाते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं का समय और डेटा दोनों बर्बाद होता है। कई बार लोग बिना पढ़े इन्हें डिलीट कर देते हैं, जिससे इनका उद्देश्य ही खत्म हो जाता है। इसके अलावा, इन संदेशों में कभी-कभी गलत जानकारी या फर्जी प्रेरणादायक कहानियां भी शामिल होती हैं, जो भ्रामक हो सकती हैं।

ये मैसेज डिजिटल पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। डेटा स्टोरेज और ट्रांसमिशन के लिए सर्वरों को चलाने में भारी मात्रा में ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है। अगर हम इन अनावश्यक संदेशों को कम करें, तो डिजिटल कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिल सकती है। “गुड मॉर्निंग” मैसेज भेजने की आदत को कम करके हम इंटरनेट के संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। इसके बजाय, व्यक्तिगत और सार्थक संदेश भेजना अधिक प्रभावी और पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा।

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Author: vartahub

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