Rabies Virus : रेबीज जिसे एक खतरनाक वायरस माना जाता है। यह इतना घातक होता है कि यदि इसका टीका नहीं लगाया जाए तो मौत भी हो सकती है। यह वायरस इंफेक्टेड जानवरों की लार से यह इंसानों में फैल जाता है। जब कोई जानवर आपको काटता है तो इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। चमगादड़, कोयोट, लोमड़ी, रैकून और स्कंक जैसे जानवर से अमेरिका में यह अधिक फैलता है। जबकि भारत में आवारा कुत्तों, बिल्ली, बकरी, घोड़े, लोमड़ी, बंदर, रैकून आदि जानवरों के काटने से रेबीज फैलता है।
Rabies संक्रमण का मुख्य कारण : यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार के माध्यम से फैलता है। संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या मानव को काटकर इस वायरस को संचारित कर सकते हैं। कभी-कभी, रेबीज तब भी फैल सकता है जब संक्रमित लार किसी खुले घाव, कटे हुए त्वचा, मुंह या आंखों में प्रवेश कर जाती है। यह तब संभव है जब कोई संक्रमित जानवर आपके त्वचा पर मौजूद खुले घाव को चाट ले। बहुत ही दुर्लभ मामलों में, रेबीज वायरस संक्रमित अंगों के ऊतकों और अंगों के प्रत्यारोपण के माध्यम से रिसीवर में भी फैल सकता है, लेकिन इसके होने की संभावना अत्यंत कम होती है।
Rabies के लक्षण : जब किसी को रेबीज हो जाता है उसमें बुखार जैसे लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। जानिए इसके कुछ प्रमुख लक्षण बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी करना, घबराहट, चिंता, भ्रम, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, बुरे और डरावने सपने, नींद की कमी जैसे आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
Rabies के टीके : रेबीज़ के टीके थ्राबिस का परीक्षण किया गया है जिसकी 3 खुराक 0, 3 से लेकर 7 दिनों पर लगायी जाती हैं। इससे पहले उपलब्ध टीकों की खुराक 0, 3, 7, 14 और 21 दिनों की थी।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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