नई दिल्ली : देश में कुछ महीनों के अंतराल पर कोई न कोई चुनाव होता रहता है. इसे देखते हुए गठबंधन बनने और बिगड़ने का खेल भी जारी रहता है. बीजेपी को हाल में ही इस दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी है. भाजपा दक्षिण भारत के बड़े राज्यों में से एक तमिलनाडु में अपने बूते पर पहली बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है. तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में चुनावी गोटी बिछाने का काम अभी से ही शुरू हो गया है. भाजपा ने प्रदेश में ऐसा कदम उठाया है, जिससे एक तीर से दो निशाने साधने वाली कहावत चरितार्थ होती है. दरअसल, बीजेपी ने AIADMK के साथ चुनावी गठजोड़ किया है. इसके लिए शुक्रवार 11 अप्रैल 2025 को अमित शाह खुद तमिलनाडु पहुंचे थे. AIADMK अब एनडीए का हिस्सा है और इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले समय में पार्टी सरकार में भी भागीदार बन जाए. AIADMK के बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन में शामिल होने का एक और बड़ा प्रभाव हुआ है. एनडीए राज्यसभा में और मजबूत हो गया है. ऐसे में भविष्य में महत्वाकांक्षी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को संसद से पास कराना आसान हो जाएगा.
राज्यसभा का गणित राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, जिनमें से 9 सीटें खाली हैं. इसका मतलब है कि प्रभावी संख्या केवल 236 है, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 119 है. भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार अब इसे आसानी से पार कर सकती है. चार मौजूदा AIADMK सांसदों (सीवी षणमुगम, एम थंबीदुरई, एन चंद्रशेखरन और आर धर्मर) को जोड़ने के साथ ही भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास राज्यसभा में 123 सांसद हो जाएंगे. यह संख्या 124 हो सकती है, क्योंकि पीएमके के अंबुमणि रामदास का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. तमिलनाडु विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर AIADMK को यह सीट भी मिल सकती है, जिससे राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या पांच हो जाएगी. इस बीच, भाजपा सात अन्य सांसदों (छह मनोनीत और एक निर्दलीय) के समर्थन पर भी भरोसा कर सकती है. ऐसे में यदि देखा जाए तो पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए की प्रभावी संख्या 131 है.
