US-China Trade War : जो डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) ट्रंप की ताजपोशी के समय 110 अंक के ऊपर था, वह 9% से अधिक लुढक़कर अब 100 के नीचे 99.50 तक फिसल गया है। यह डॉलर का तीन साल का सबसे निचला स्तर और 10 साल की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर घटते भरोसे ने शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर को बड़ा झटका दिया। टैरिफ वॉर का असर हर दिन किसी न किसी रूप में दिख रहा है, इसी कड़ी में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर दुनिया की कई बड़ी करेंसियों के मुकाबले कमजोर हुआ. इसकी वजह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर थी. इस वॉर ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया है. चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया. ये पहले यह 84 फीसदी था. यह कदम अमेरिका के उस फैसले के जवाब में आया, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप ने चीनी सामानों पर टैक्स बढ़ाकर 145 फीसदी कर दिया था,इस तनाव का असर सिर्फ करेंसी पर ही नहीं पड़ा, बल्कि पूरी दुनिया के शेयर बाजारों और अमेरिका के सरकारी बॉन्ड पर भी पड़ा है. ये बॉन्ड्स आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं. लेकिन इस बार इनमें भी भारी गिरावट आई है. न्यूयॉर्क की एक फाइनेंशियल कंपनी BBH के एक्सपर्ट विन थिन ने कहा कि डॉलर की कमजोरी अब सिर्फ मंदी या फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें घटाने की वजह से नहीं है. अब यह भरोसे की कमी की बात है. लोग अब डॉलर को सुरक्षित नहीं मान रहे.
