योग गुरु बाबा शिवानंद के आश्रम में उनके अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शोक संवेदना व्यक्त की। ट्वीट में उन्होंने लिखा कि- योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था।
योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे… पीएम ने आगे लिखा कि- शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।
दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान का दावा 129 साल के योग गुरु बाबा शिवानंद संयम, योग और सादगी की प्रतिमूर्ति थे। उनकी सादगी ने अविभाजित बंगाल के शिवानंद को काशी में बाबा शिवानंद बनाया। दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान होने के बाद भी उनकी फुर्ती हर किसी को हैरान कर देती थी।
सीएम योगी ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की सीएम योगी ने लिखा कि- ‘योग’ के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान देने वाले काशी के प्रख्यात योग गुरु ‘पद्म श्री’ स्वामी शिवानंद जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपकी साधना एवं योगमय जीवन संपूर्ण समाज के लिए महान प्रेरणा है। आपने अपना पूरा जीवन योग के विस्तार में समर्पित कर दिया। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति! 129 साल के योग गुरु बाबा शिवानंद संयम, योग और सादगी की प्रतिमूर्ति थे। उनकी सादगी ने अविभाजित बंगाल के शिवानंद को काशी में बाबा शिवानंद बनाया। दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान होने के बाद भी उनकी फुर्ती हर किसी को हैरान कर देती थी।
भक्तों ने किया नमन आश्रम से जुड़े लोगों का दावा है कि वह देश के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे। उन्हें 2022 में पद्मश्री से नवाजा गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें सम्मानित किया था। योग गुरु शिवानंद योग साधना को ज्यादा प्राथमिकता देते और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करते थे। वह महाकुंभ में भी स्नान के लिए पहुंचे थे।






