वाराणसी :- अभियान के दौरान पकड़ी जाने वाली प्रतिबंधित प्लास्टिक का दोबारा इस्तेमाल न हो, इसके चलते इसे काटा और गलाया जाएगा। इसके लिए नगर निगम की ओर से लगाए जाने वाले संयंत्र का ट्रायल जारी है। अधिकारियों ने बताया कि प्लास्टिक को री साइकिल करने के साथ इसका इस्तेमाल सड़क बनाने में होगा। प्लास्टिक से बनी सड़कें बिटुमिन और सीमेंट की सड़कों से ज्यादा मजबूत होती हैं।
बिटुमिन वाली सड़कों की लागत प्रति किमी तकरीबन 50 लाख रुपये आती है जबकि प्लास्टिक से बनी सड़कों की लागत 43.50 लाख रुपये प्रति किमी आती है। इससे प्रति किमी सड़क निर्माण में 7.5 लाख रुपये की बचत होगी। प्लास्टिक को काटने वाली मशीनों में डालकर इसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाएंगे। इसके बाद टुकड़ों को गलाने वाली मशीन में डाला जाएगा। गलाने के बाद इसका इस्तेमाल सड़क बनाने में होगा। प्लास्टिक के टुकड़े मिक्सिंग चैंबर में बिटुमिन के साथ गलाए जाएंगे। बिटुमिन और प्लास्टिक के अच्छी तरह मिल जाने के बाद इसे सड़क पर बिछाया जाएगा। एक किमी सड़क बनाने के लिए एक टन प्लास्टिक और नौ टन बिटुमिन की जरूरत होती है।
ज्यादातर सड़क निर्माण में बिटुमिन और सीमेंट का इस्तेमाल होता है। बिटुमिन की सड़कें गर्मी में पिघलने लगती हैं। साथ ही सीमेंट वाली सड़क में क्रैक आ जाते हैं। बारिश के मौसम में भी ऐसी सड़कों के उखड़ने की आशंका अधिक रहती है। प्लास्टिक से बनीं सड़कों में ऐसा कोई खतरा नहीं होता है। गिट्टी से बनी सड़कों के मुकाबले प्लास्टिक की सड़कों का रखरखाव भी कम करना पड़ता है।
