सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में बन रहे रोपवे के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश तीन महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि उनकी जमीन अधिग्रहण किए बगैर ही, रोपवे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और संजय करोल की पीठ ने इस मामले में सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद संबंधित प्राधिकार को रोपवे के निर्माण को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। दूसरे शब्दों में निर्माण कार्य जिस स्थिति में है, उसी स्थिति में रहे और आगे कोई निर्माण न हो। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही, मामले में नोटिस जारी कर संबंधित पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। पीठ ने मामले की सुनवाई अप्रैल, 2025 तय की है।सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता रोहित अमित स्थालेकर के जरिए दाखिल मनसा सिंह सहित तीन महिलाओं की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर यह अंतरिम आदेश पारित किया। दरअसल, अपीलकर्ताओं ने पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि संबंधित प्राधिकरण ने उनकी फ्री होल्ड संपत्ति में अवैध रूप से तोड़फोड़ की। साथ ही कहा कि न तो अपीलकर्ता की जमीन का अधिग्रहण किया गया और न ही किसी तरह का मुआवजा दिया गया, बावजूद इसके रोपवे के निर्माण कार्य उनकी संपत्ति पर शुरू कर दिया।
हाईकोर्ट ने रोक लगाने से कर दिया था इनकार : इस मामले में हाईकोर्ट ने किसी तरह का अंतरिम आदेश या कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। किसी तरह का अंतरिम राहत नहीं मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। अपील पर विचार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ नोटिस जारी किया बल्कि यथास्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया।
