वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि मानव संस्कृति को अमरता प्रदान करने का जो नैसर्गिक संस्कार है, उस परिणय संस्कार का अनूठा संयोग काशी में भगवान द्वारिकाधीश के समक्ष पौराणिक शंकुलधारा कुंड पर देखने को मिला। कहा कि समाज सेवा के संकल्प से जीवन यात्रा के इस पावन संस्कार के अनूठे संयोग के हम सभी अक्षय तृतीय के अवसर पर दर्शनाभिलाषी बने।
125 कन्याओं की हुई शादी डॉ. मोहन भागवत बुधवार को संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल के पुत्र अक्षय की वधु ग्रीष्मा के गृह प्रवेश के उपलक्ष्य में 125 बेटियों के अक्षय कन्यादान महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विवाह से कुटुंब और कुटुंब से समाज बनता है। कुटुंब मकान की ईंट के समान होता है। इस ईंट को पक्का होना चाहिए। यह संस्कारों से पक्की होती है। आज जरूरत है कि संस्कार स्वभाव में बदले। इसी से संपूर्ण संसार में शांति होगी।
मोहन भागवत ने वर-वधु को दिया आशीर्वाद उन्होंने वर-वधु को आशीर्वाद देते हुए कहा कि परिवार में मात्र पति-पत्नी और बच्चे का भाव नहीं रखना चाहिए। इससे परिवार, समाज और शहर पीछे छूट जाता है। इसके बजाय अपने को परिवार का अविभाज्य अंग मानकर कार्य करना चाहिए। आज इन बातों का सार इस आयोजन में देखने को मिला। कहा कि विवाह में तो बहुत खर्च होता है लेकिन समाज को कुछ नहीं मिलता है। ऐसे में वीरेंद्र जायसवाल ने समाज के प्रति कर्तव्य के भाव को इस आयोजन में बदल दिया। डा. भागवत ने कन्यादान में भागीदार बने शहर के गणमान्य अभिभावकों से कहा कि वे वर-वधु से कम से कम वर्ष में एक-दो बार जरूर मिलें। भागवत के संबोधन के पूर्व वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि सरसंघचालक स्वयंसेवकों से मिलने पर पहले परिवार का हालचाल पूछते हैं। इसके बाद पूछते हैं कि समाज के लिए क्या कर रहे हैं। वह हमेशा स्वयंसेवकों से अपनी क्षमता के अनुसार समाज के लिए सेवा कार्य करने का प्रबोधन करते रहते हैं। इसी प्रबोधन ने उनको 101 बेटियों के कन्यादान का संकल्प दिला दिया। वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि छोटे बेटे विभव के विवाह के उपलक्ष्य में बहू ग्रीष्मा के गृह प्रवेश के उपलक्ष्य में महोत्सव आयोजित करने का निर्णय पूरे परिवार ने मिलकर लिया। इसके बाद सरसंघचालक शामिल होने की संस्तुति देकर इसे भव्य बनाने को प्रेरित कर दिया। वीरेंद्र की बड़ी बहू पूर्विका ने सभी से कहा कि वे नए परिवार नए माहौल में अपने को समायोजित करें।
धूमधाम से हुई कन्याओं की शादी इसके पूर्व धूम-धाम से शंकुलधारा कुंड से बग्घी, घोटे, बैंडबाजा, आतिशबाजी, डीजे के साथ बरात निकली। रास्ते में वर पूजा, ग्राम देवता पूजा और पुष्प वर्षा हुई। सभी वर कुंड के चारों तरफ बने मंडप स्थल पर पहुंचे। डॉ. मोहन भागवत ने प्रयागराज की रेनू का कन्यादान किया और वर आकाश की पूजा की। सभी पर एक गणमान्य नागरिक ने अभिभावक के रूप में कन्यादान किया। आयोजन में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, उद्योग मंत्री नंदगोपाल नंदी, महापौर अशोक तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।
