उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराओ और उनका लेखनी बंद कराओ के सरकारी अभियान को आज सुप्रीम कोर्ट ने फिर लताड़ा है। DGP को नोटिस जारी किया कि आखिर स्टोरी लिखने पर कोई किसी पत्रकार के खिलाफ धारा 420 कैसे दर्ज कर दी गई। आज सुप्रीम कोर्ट में पत्रकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्दार्थ दवे खड़े थे .. हालांकि स्टेट को रिप्रेजेंट करने वाले विद्वान अधिवक्ता ने बहुत दबाव बनाया पर कुछ हो नहीं पाया। स्टोरी करने पर एफआईआर झेल रहीं पत्रकार ममता त्रिपाठी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की अच्छे से क्लास लगाई। सुनवाई के दौरान मुद्दा ये सामने था कि पत्रकार पर स्टोरी लिखने के लिए धारा 420 कैसे और क्यूँ लगाई गई?
ममता त्रिपाठी की ओर से अपीयर हुए सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने बहस के दौरान कहा कि चूंकि मानहानि का मामला संज्ञेय अपराध नहीं है, इसलिए उसे संज्ञेय अपराध बनाने के लिए धारा 420 जोड़ी गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से बेहद कड़े सवाल पूछे और साथ ही सरकार व DGP को नोटिस जारी कर दिया। ममता त्रिपाठी पर सितम्बर 2023 में लखनऊ के हज़रतगंज थाने में FIR हुई थी। पिछले तीन महीने से राज्य सरकार “जवाब दाखिल” करने के नाम पर लगातार कोर्ट से समय ले रही थी।
