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माथे पर तिलक, होठों पर महादेव! फ्रांस में सांप्रदायिक अशांति से त्रस्त होकर काशी आईं लीया, बनारस के लिए कही ये बात

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वाराणसी। सांप्रदायिक अशांति के दौर से गुजर रहे फ्रांस में रहना असुरक्षित और अवसाद बढ़ाने वाला हो गया है। मुस्लिम कट्टरपंथियों की वजह से वहां कोई भी सुरक्षित नहीं है। इस अशांति और असुरक्षा ने मुझे भी परेशान कर दिया। इसलिए शांति की खोज में भारत आ गई और अब डेढ़ महीने से यहां काशी में हूं। यहां आने पर महादेव की कृपा हुई और मन को काफी शांति मिली। पूरे विश्व में काशी से अधिक सुरक्षित और शांत जगह कोई नहीं। यह कहना है फ्रांसीसी युवती लीया का। यहां रह रहीं लीया पूरी तरह से सनातनी और महादेव की भक्ति में रंग गई हैं। पूरे दिन घाट पर बैठकर महादेव के विभिन्न रूपों की पेंटिंग बनाती हैं और महादेव के नाम का जाप करती हैं। इससे उनके मन को बेहद शांति मिलती है।गेरुआ वस्त्र, गले व हाथ में रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और होठों पर महादेव के नाम का जाप। लीया का यह रूप पूरी तरह सनातनी है, वह कहती भी हैं कि यहां आने के बाद वह हिंदुत्व की अनुगामिनी बन गई हैं।

लीया ने बताया कि वह पेशे से शेफ हैं और फ्रांस में उनको काफी लोग जानते हैं, लेकिन इन दिनों फ्रांस की हालत ठीक नहीं है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों की तरह वहां भी मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हर फ्रांसीसी का जीवन असुरक्षित कर दिया है।अध्ययन के दौरान उनको यह पता चला कि काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी है और यहां आकर लोगों को मानसिक शांति मिलती है। इसीलिए वह सनातन धर्म के प्रति समर्पण भाव से काशी आ गईं। उन्हें सनातन धर्म, उसकी परंपराएं बेहद आकर्षित करती हैं।

वह कहती हैं कि काशी आने के बाद न सिर्फ उन्हें मानसिक शांति मिली है, बल्कि उन्हें सुखद अनुभूति हो रही है। उनकी इच्छा है कि वह आजीवन इसी तरह महादेव की आराधना करें और उनकी पेंटिंग के जरिए भगवान की भक्ति करती रहें।

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Author: vartahub

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