सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति उज्जल भुइंया ने हाल ही में राज्यों द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोज़र चलाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस प्रथा को “संविधान पर बुलडोज़र चलाने” के समान बताया और इसे कानून के शासन की मूल अवधारणा का उल्लंघन कहा। न्यायमूर्ति भुइंया ने चेताया कि यदि इस प्रकार की कार्रवाइयों को नहीं रोका गया, तो यह हमारी न्याय प्रणाली की नींव को नष्ट कर सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि किसी आरोपी के घर को ध्वस्त करना असंवैधानिक है, क्योंकि उस घर में आरोपी के अलावा उसके परिवार के अन्य सदस्य भी रहते हैं, जिनका कोई दोष नहीं होता। ऐसी कार्रवाई से उनके सिर से छत छिन जाती है, जो अनुचित है।
न्यायमूर्ति भुइंया के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयाँ कानून के शासन की मूल अवधारणा का उल्लंघन हैं और यदि इन्हें नहीं रोका गया, तो यह हमारी न्याय प्रणाली की नींव को कमजोर कर सकती हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के विभिन्न हिस्सों में बुलडोज़र का उपयोग कर संपत्तियों को ध्वस्त करने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जो न्यायिक और संवैधानिक सिद्धांतों के संदर्भ में गंभीर चिंताओं को जन्म देती हैं।
